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व्याख्या — गोस्वामी श्री तुलसीदास जी की ‘कवितावली’ में ‘अमित जीवन फल’ का वर्णन इस प्रकार है –

भावार्थ – भगवान् श्री रामचन्द्र जी के द्वार के रखवाले (द्वारपाल) आप ही हैं। आपकी आज्ञा के बिना उनके दरबार में किसी का प्रवेश नहीं हो सकता (अर्थात् भगवान् राम की कृपा और भक्ति प्राप्त करने के लिये आपकी कृपा बहुत आवश्यक है) ।

भावार्थ – हे अतुलित बल के भण्डार घर रामदूत हनुमान जी! आप लोक में अंजनी पुत्र और पवनसुत के नाम से विख्यात हैं।

बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥

PavanatanayaPavanatanayaSon of wind god, Lord Hanuman sankataSankataTrouble / sorrow haranaHaranaRemover / banish mangalaMangalaAuspicious / blessing / Pleasure mūrati MūratiStatue / embodiment rūpaRūpaForm

गोस्वामी तुलसीदास की श्री हनुमान जी से भेंट: सत्य कथा

अस बर दीन जानकी माता ॥३१॥ राम रसायन तुह्मरे पासा ।

You flew toward the Sunlight who is thousands of decades of Yojanas absent, thinking about him as being a sweet fruit

असुर निकन्दन राम दुलारे ॥३०॥ अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता ।

महाबीर जब नाम सुनावै ॥२४॥ नासै रोग हरै सब पीरा ।

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SūkshmaSūkshmaMicro / moment / very small rūpaRūpaForm / overall body / form dhariDhariAssuming siyahiSiyahiSita, Wife of Lord Rama dikhāvāDikhāvāTo point out up

व्याख्या – भजन का मुख्य तात्पर्य यहाँ सेवा से है। सेवा दो प्रकार की होती है, पहली सकाम, दूसरी more info निष्काम। प्रभु को प्राप्त करने के लिये निष्काम और निःस्वार्थ सेवा की आवश्यकता है जैसा कि श्री हनुमान जी करते चले आ रहे हैं। अतः श्री राम की हनुमान जी जैसी सेवा से यहाँ संकेत है।

भावार्थ – तपस्वी राम सारे संसार के राजा हैं। [ऐसे सर्वसमर्थ] प्रभु के समस्त कार्यों को आपने ही पूरा किया।

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